TANVI THE GREAT Review by Dr. Harvinder Mankkar (HINDI)

Tanvi the Great
★★★ ★★
Dr. Harvinder Mankkar 
जब भी मैं कोई फ़िल्म देखकर लौटता हूँ, तो अक्सर यह सोचता हूँ — कि यह फ़िल्म क्या सोचकर बनाई गई होगी… और मैंने क्या सोचकर देखी होगी।
‘तन्वी द ग्रेट’ सिर्फ़ एक फ़िल्म नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है —
एक ऐसा विषय, जिस पर फ़िल्म बनाना और फिर उसे सहज, संजीदा अभिनय से आत्मा देना, हर किसी के बस की बात नहीं होती।
अनुपम खेर एक हरफनमौला इंसान और अभिनेता हैं —
जिनके भीतर अभिनय केवल एक कला नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन चुका है।
मैंने उन्हें पहली बार बरसों पहले उनके प्रसिद्ध नाटक ‘वापसी’ में देखा था।
उन्हें TV पर देखकर ही समझ आ गया था कि अभिनय क्या होता है —
और यह कि अनुपम खेर के रग-रग में वह लहू बनकर बहता है।
इस फ़िल्म में उन्होंने न केवल एक सशक्त अभिनेता की भूमिका निभाई है,
बल्कि एक संवेदनशील और दक्ष निर्देशक के रूप में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
कहानी पर पकड़ बनाए रखना, दृश्य दर दृश्य भावना का संतुलन बनाए रखना —
यही एक कुशल निर्देशक की पहचान होती है, और अनुपम खेर ने उसे बख़ूबी निभाया है।
उनकी डायरेक्शन की पकड़ इमोशन तक पहुँचती है —
कैसे तन्वी चौखट को पार करती है या कैसे कहती है “मेरे “दूर के दादू” 
 हैं” —
हर दृश्य में भावना का मुक़ाम नज़र आता है।
इस फ़िल्म में शुभांगी दत्त ने सिर्फ़ अभिनय नहीं किया, वो अपने चरित्र में पूरी तरह ढल गईं।
हर दर्द का लम्हा, हर बेबसी पर ठहरी आँखों की अभिव्यक्ति,
और प्रकृति से छिन चुकी मासूमियत के खालीपन से निकलने की जो तड़प उन्होंने परदे पर जिया है —
वो अभिनय नहीं, एक जीवंत साक्षात्कार है…
ऐसा जो बरसों तक दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाए रखेगा।
बोमन ईरानी और जैकी श्रॉफ जब भी पर्दे पर दिखते हैं, तो ज्यों कोई ज’लतरंग’ बज उठती है।
पल्लवी जोशी ने अपने किरदार में जो दर्द और संयम दिखाया है —
वो सीधे आत्मा तक पहुँचता है।
देशभक्ति और जज़्बे को इस कहानी में पिरोने वाले राइटर, डायरेक्टर और कलाकारों को मेरा सलाम है।
‘तन्वी द ग्रेट’ एक ऐसी फ़िल्म है जो न केवल आँखों से देखी जाती है, बल्कि उसे समझने के लिए एक भावनात्मक दिल होना ज़रूरी है।
यह फ़िल्म आँखों में उतरती है, मगर ठहरती दिल में है —
एक सवाल छोड़ती है, एक प्रेरणा देती है… और सबसे बड़ी बात —
एक उम्मीद जगा जाती है।
क्यों देखें ‘तन्वी द ग्रेट’?
Rating ★★★ ★★

 1. अनुपम खेर का ज़बरदस्त इमोशनल अभिनय और दादा-पोती के प्यार की अनूठी कहानी।
 2. शुभांगी करोल का अभिनय इतना परफेक्ट कि हर दिल पसीज जाएगा।
 3. परिवार के साथ देखने योग्य सुंदर, भावनात्मक और प्रेरणादायक फ़िल्म।
 4. स्क्रिप्ट और निर्देशन पर मज़बूत पकड़ – एक-एक दृश्य दिल से जुड़ता है।
 5. सभी कलाकारों का सहज और नैचुरल अभिनय जो फिल्म को सच्चाई का एहसास देता है।

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