जब Motu Patlu के दीवाने ने हरविंदर मांकड़ से मिलने के लिए तोड़ दी सारी सीमाएँ


एक विदेशी कलाकार, एक स्केच और एक रोमांचक मुठभेड़ — जब Motu Patlu के दीवाने ने हरविंदर मांकड़ से मिलने के लिए तोड़ दी सारी सीमाएँ







लंदन की एक सर्द दोपहर थी। आसमान पर बादल छाए थे और हल्की-हल्की बारिश शहर की रफ्तार को धीमा कर रही थी, लेकिन शहर के एक प्रतिष्ठित होटल में कुछ और ही गर्मजोशी का माहौल था। भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट, लेखक और निर्देशक हरविंदर मांकड़ होटल के लॉबी में एक मीटिंग के लिए पहुंचे थे। उनके आने की ख़बर पहले ही लंदन में रहने वाले भारतीयों और अंतरराष्ट्रीय एनिमेशन प्रेमियों के बीच गूंजने लगी थी।


इन्हीं में से एक था – एक विदेशी युवक, लगभग 30 साल का, नीली आंखें, लंबे बाल और हाथ में एक काग़ज़ पर बना हुआ स्केच – Motu Patlu का। वह युवक, जो खुद एक स्ट्रीट आर्टिस्ट था, ने बचपन में भारतीय कार्टून नेटवर्क पर Motu Patlu देखे थे और उन्हें देखकर ही उसने ड्रॉइंग और ऐनिमेशन का सपना देखा था।



घटना की शुरुआत



उस विदेशी युवक को जैसे ही सोशल मीडिया पर यह पता चला कि हरविंदर मांकड़ लंदन के उसी होटल में ठहरे हुए हैं, वह एक हाथ में स्केचबुक और दूसरे में चारकोल पेंसिल लेकर दौड़ पड़ा। उसने Motu Patlu का एक खूबसूरत स्केच बनाया था — अपने दिल से, अपने जुनून से। और उसे केवल एक चीज़ चाहिए थी: उसी इंसान के हाथों से उस स्केच पर दस्तख़त, जिसने इन पात्रों को जीवन दिया था।


लेकिन होटल की सिक्योरिटी इतनी आसान नहीं थी। विदेशी युवक जब होटल के अंदर घुसा, तो गार्ड्स ने उसे रोक लिया। उसने बड़े ही जोश में बताया:


“I want to meet Mr. Harvinder Mankad – the creator of Motu Patlu! I have his sketch with me. Please let me meet him. Just five minutes!”


सिक्योरिटी ने उसे आधिकारिक अपॉइंटमेंट न होने के कारण रोक दिया। लेकिन उस विदेशी के जज़्बात किसी अपॉइंटमेंट के मोहताज नहीं थे। वह थोड़ी उग्रता से बोला:


“Do you even know WHO he is? He is not just a cartoonist. He is a LEGEND. He inspired a generation of artists, including me!”



भिड़ंत और भावनाओं की जीत



थोड़ी देर तक माहौल तनावपूर्ण रहा। युवक गार्ड्स से बहस करने लगा, भावनाएं चरम पर थीं। कुछ पर्यटक रुककर देखने लगे। होटल मैनेजर को सूचना दी गई।


इसी बीच, हरविंदर मांकड़ लॉबी में किसी से मिलने आए। उनकी नज़र जैसे ही उस युवक पर पड़ी, जिसने हाथ में उनका बनाया हुआ Motu Patlu का स्केच उठा रखा था और आंखों में एक जुनूनी चमक थी — उन्होंने खुद ही कदम बढ़ाया।


“Are you looking for me?” मांकड़ साहब ने मुस्कराते हुए पूछा।


युवक चौंक गया, उसकी आंखें नम हो गईं। वह लगभग रोते हुए बोला:


“Sir, I grew up watching Motu Patlu. You are the reason I became an artist. Please sign this. It’s the only dream I’ve had.”


हरविंदर मांकड़ ने स्केच हाथ में लिया, गहराई से देखा, और कहा:


“This is beautiful. You didn’t just draw them — you felt them.”


फिर उन्होंने उस स्केच पर अपने हस्ताक्षर किए और उसे गले से लगा लिया।



अंत एक नई शुरुआत का



यह घटना वहां मौजूद सभी लोगों के लिए एक भावुक पल बन गई। होटल के गार्ड्स भी मुस्कुरा उठे। विदेशी युवक की आंखों में जो चमक थी, वह अब भीग चुकी थी लेकिन उसके चेहरे पर सुकून था — उसने अपने प्रेरणास्रोत से न सिर्फ मुलाकात की, बल्कि उसका आशीर्वाद भी पाया।


यह सिर्फ एक मुलाक़ात नहीं थी। यह उस जज़्बे की जीत थी जो कला की सरहदें पार करता है। एक कलाकार का दूसरे कलाकार को दिया गया वह सम्मान, जो शब्दों से कहीं ज़्यादा असर रखता है।


और इस तरह लंदन की उस सर्द दोपहर ने, Motu Patlu के रंगों से एक दिल को गर्म कर दिया।


– लेखन: हरविंदर मांकड़ की यादों से प्रेरित


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